महिला जगत

शिशु को प्लास्टिक नहीं, कांच की बोतल में दूध पिलाना है फायदेमंद

नवजात शिशु को 6 महीने तक मां का दूध जरूरी होता है लेकिन उसके बाद माएं बोतल से बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर देती हैं. पहले बच्चों को दूध पिलाने के लिए स्टील या कांच की बोतलें यूज की जाती थी लेकिन अब मार्केट में प्लास्टिक की बोतले मौजूद है. मॉडर्न वैरायिटीज और प्रिंट्स वाली प्लास्टिक की बोतलें भले ही अट्रैक्टिव हो लेकिन यह शिशु की सेहत के लिए सही नहीं. जी हां, प्लास्टिक की बोतलों में शिशु को दूध पिलाना उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है.दरअसल, प्लास्टिक की बोतलों पर बिस्फेनॉल (बीपीए) व अन्य  रासायनिक द्रव्य की कोटिंग की जाती है. जब इसमें गर्म दूध डाला जाता है तो वो द्रव्य उसके जरिए शिशु के शरीर में पहुंच जाते हैं.  यही नहीं, इसमें मौजूद रासायनिक द्रव्य आसानी से साफ नहीं होते, जिससे बोतल के अंदर सूक्ष्म कीटाणु पनपने लगते हैं. धोने या उबालने पर भी यह कीटाणु साफ नहीं होते और पेट के अंदर जाकर इंफैक्शन या बीमारियों का कारण बनते हैं.प्लास्टिक की बोतल में मौजूद कैमिकल्स से बच्चे के दिमाग और प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है. यही नहीं, यह द्रव्य प्रजनन प्रणाली के लिए भी हानिकारक है. प्लास्टिक की बजाए कांच की बोतल बच्चे के लिए ज्यादा फायदेमंद होती है. भले ही यह महंगी हो लेकिन इसमें कोई रसायन नहीं होता. यही नहीं, कांच की बोतले आसानी से साफ भी हो जाती है क्योंकि सिर्फ गर्म पानी से धोने पर ही बोतल के सभी कीटाणु मर जाते हैं.कांच की बोतलों में दूध ना सिर्फ लंबे समय तक सुरक्षित रहता है बल्कि उसका स्वाद भी खराब नहीं होता. वहीं, यह 80% तक रिसाइकिल हो सकती है.

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

प्रधान संपादक - रोहित बंछोर मो. 8959946268 सह संपादक - नवेद खान मो. 9300067770 ऑफिस - मीडिया सिटी 2 रायपुर छत्तीसगढ़