देश में अव्वल, रोजगार मुहैया करवाने की तारीफ
रायपुर। लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ में 18.52 लोगों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत रोजगार मिला है। यह संख्या देशभर में इस वक्त मनरेगा में लगे कुल मजदूरों का करीब 24 फीसद है। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। दूसरे नंबर पर राजस्थान है, वहां 10 .79 लाख और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है, वहां करीब नौ लाख लोगों को रोजगार मिला है।केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से जारी आंकड़ों के अनुसार मनरेगा कार्यो में अभी पूरे देश में 77 लाख 85 हजार 990 मजदूर लगे हैं। मनरेगा के तहत प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न कार्यो में अभी 18 लाख 51 हजार 536 श्रमिक काम कर रहे हैं।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस कठिन दौर में भी मनरेगा के बेहतरीन क्रियान्वयन के लिए सरपंचों की सक्रियता व तत्परता की सराहना की है। उन्होंने इस उत्कृष्ट कार्य के लिए सरपंचों के साथ ही मनरेगा की राज्य इकाई, जिला और जनपद पंचायतों की टीम को बधाई दी है।उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच यह बड़ी उपलब्धि है। प्रदेश भर में इन सबकी मिली-जुली कोशिशों से कार्यस्थल पर परस्पर शारीरिक दूरी बनाकर, मुंह ढककर और स्वच्छता मानकों के साथ मनरेगा कार्यों के जरिये श्रमिक परिवारों को राहत पहुंचाई जा रही है।लॉकडाउन-2 में राज्य में प्रवासी श्रमिकों के जरिये कोरोना संक्रमण की वापसी ने सरकार की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। चिंता का सबसे बड़ा सबब यह है कि जो श्रमिक कोरोना पॉजिटिव पाया गया और उसके बाद दक्षिण कोरियाई किट से जिन लोगों को जांच में पॉजिटिव चिन्हित किया गया है, उनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं मिले हैं। संक्रमित मजदूर का केस चौंकाने वाला है।महाराष्ट्र की सीमा से राज्य में दाखिल होना वाला श्रमिक 14 दिन क्वारंटाइन में भी रहा। लक्षण कोई नहीं लेकिन वह कोरोना वायरस का साइलेंट कैरियर बन गया। एम्स के चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस स्थिति को चिंताजनक मानते हुए और सख्ती व संयम की सलाह दी है।