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कोरोना का ख़ौफ़, खतरनाक गुटका से प्यार

आज पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के लिए चीन का इतना विरोध हो रहा है, क्योंकि कोरोना वायरस फैलाने के लिए उसे जिम्मेदार माना जा रहा है, लेकिन जो कैंसर जैसे खतरनाक रोग फैला रहे हैं, उनको लेकर हम खामोश क्यों हैं? कैंसर जैसे खतरनाक रोग फैलाने वाले गुटखों जैसे जानलेवा प्रोडक्ट के उत्पादन और डिस्ट्रिब्यूशन के लिए जिम्मेदार कौन है? कितने कमाल की नीति है- चोर से कहो चोरी करो, साहुकार से कहो जागते रहो!

गुटखा बनाने वालों से कहो- तुम भी कमाओ, हम भी कमाएं और खाने वालों से कहो- सावधान, गुटखा खाना खतरनाक है, इससे कैंसर हो सकता है? कितने आश्चर्य की बात है कि कोरोना से मरने वाले एक-एक व्यक्ति का हिसाब रखा जा रहा है, लेकिन गुटखों के कारण मरने वाले लाखों लोगों का हिसाब किसी के पास नहीं है? कई लोग कहते हैं कि गुटखा खाने की आदत पड़ जाए तो एकदम बंद नहीं किया जाना चाहिए, व्यक्ति के लिए खतरनाक हो सकता है?

एकदम लाॅक डाउन हुआ और गुटखा नहीं मिला तो कितने लोग गुटखा नहीं मिलने के कारण से मर गए? वैसे, यह अच्छा मौका है, सरकार चाहे तो गुटखा जैसे प्रोडक्ट का प्रोडक्शन हमेशा के लिए बंद कर सकती है! लेकिन, क्या सरकार ऐसा करेगी? फिलहाल राजधानी दिल्ली से एक अच्छी खबर है कि कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर अब 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

कोविड-19 के मैनेजमेंट के संबंध में सरकार की ओर से जारी निर्देशों के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है, जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर थूकने को दंडनीय अपराध बनाया गया है. यही नहीं, यह भी कहा गया कि लाॅक डाउन के दौरान शराब, गुटखा, तंबाकू की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध होगा और थूकना सख्त तौर पर प्रतिबंधित होगा तथा जुर्माना लगाकर दंड दिया जाएगा.

बड़ा सवाल यह है कि गुटखा खाने वालों पर ही कार्रवाई क्यों? गुटखा खानेवालों को तो मौत का ही डर नहीं है, तो फिर जुर्माना कैसे उन्हें रोक पाएगा? इन गुटखांधों को पैकेट पर लिखी चेतावनी कहां डराती है? साफ दिखता जहर खाने के लिए हजारों रुपए उड़ा देने वाले और परिवार को संकट में डालने वाले इन अनकंट्रोल्ड इडियट्स को जुर्माने का डर बताने से बेहतर है कि इस तरह के जहर के प्रोडक्शन को ही बैन कर दिया जाए?

इन पोइजन से सरकारों को भले ही करोड़ों की कमाई होती हो, लेकिन कैंसर जैसी बीमारियों से निपटने के लिए बाद में सरकार को ही इससे कई गुना ज्यादा पैसा बर्बाद करना पड़ता है. सरकार का खजाना भरने के लिए परिवार को बर्बाद कर देना कौनसी अर्थव्यवस्था है? गुटखा जैसे तमाम प्रोडक्ट जो इंसान की सेहत के लिए खतरनाक हैं, बनाने पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए, क्योंकि कोरोना, आज नहीं तो कल चला जाएगा, लेकिन गुटखा जो इस देश में परमानेंट कब्जा करके बैठा है, बगैर कठोर निर्णय लिए, कभी नहीं जाएगा!

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