गृह मंत्रालय के अधिकारी ने यह बयान उस समय दिया, जब पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ने इस कानून को असंवैधानिक बताया और अपने राज्यों में इसे लागू नहीं करने की बात कही।

गृहमंत्रालय के अधिकारी ने बताया, ‘केंद्रीय कानूनों की सूची में आने वाले किसी भी कानून को लागू करने से राज्य सरकार इनकार नहीं कर सकती हैं।’ उन्होंने बताया कि यूनियन सूची के 7वें शेड्यूल के तहत 97 चीजें आती हैं, जैसे रक्षा, बाहरी मामले, रेलवे, नागरिकता आदि।

वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देगी। वहीं, कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों भूपेश बघेल और कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस पर जो भी रूख अपनाएगी, उनके राज्य उसे मानेंगे।

कांग्रेस इस बिल को महाराष्ट्र में किसी भी हाल में लागू नहीं देना चाहती हैं. महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता और विधायक इसी सिलसिले में शनिवार को कांग्रेस आलाकमान से दिल्ली में मिलेंगे और मांग करेंगे की सीएम उद्धव ठाकरे से बात कर इस कानून को महाराष्ट्र में लागू ना होने दें. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने कहा कि इस मुद्दे पर हमारा रुख स्पष्ट है. हमने इसका विरोध किया था. आगे भी जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल पर पार्टी नेतृत्व की भूमिका स्पष्ट है.