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महाराष्ट्र में बनेगी शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार?

० न्यूनतम साझा कार्यक्रम मंजूर, ड्राफ्ट तैयार
० किसान कर्जमाफी, अल्पसंख्यक कल्याण और रोजगार के मुद्दे सीएमपी में लिए गए
० शिवसेना के 16, एनसीपी के 14 और कांग्रेस के 12 कैबिनेट मंत्री
० स्पीकर कांग्रेस का तो डिप्टी स्पीकर एनसीपी का होगा
मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद से सरकार गठन पर चली रस्साकशी के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लग गया था। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच न्यूमतम साझा कार्यक्रम पर मंथन और बैठकों के बाद राज्य में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। साझा सरकार बनाने पर तीनों पार्टियों के बीच आम सहमति बनती दिख रही है। सरकार गठन के फॉर्म्युले के तहत शिवसेना के हिस्से में 16, एनसीपी के पास 14 और कांग्रेस को 12 कैबिनेट बर्थ मिल सकती है। शिवसेना को कट्टर हिंदुत्व समर्थक पार्टी माना जाता है। ऐसे में एनसीपी-कांग्रेस के साथ सरकार बनाने पर सहमति के पीछे न्यूनतम साझा कार्यक्रम का बड़ा रोल माना जा रहा है। आइए जानते हैं क्या है सरकार गठन का फॉर्म्युला और न्यूनतम साझा कार्यक्रम की बड़ी बातें:
सरकार गठन का संभावित फॉर्म्युला
सूत्रों का कहना है कि सरकार गठन के फॉर्म्युले के तहत शिवसेना कोटे से 16 , एनसीपी कोटे से 14 और कांग्रेस कोटे से 12 कैबिनेट मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसके साथ ही विधानसभा स्पीकर का पद कांग्रेस को दिया जा सकता है, वहीं डेप्युटी स्पीकर पोस्ट शिवसेना के हिस्से में जा सकती है। विधान परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद एनसीपी और शिवसेना के खाते में जा सकता है। ऐसी अटकलें हैं कि सीएम का पद शिवसेना को देने के साथ ही एनसीपी और कांग्रेस की तरफ से एक-एक डेप्युटी सीएम बनाए जा सकते हैं। सरकार गठन को लेकर शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की पुण्यतिथि यानी 17 नवंबर को कोई बड़ा ऐलान हो सकता है। शिवसेना ने अपने सभी विधायकों को 17 नवंबर को मुंबई में मौजूद रहने के लिए कहा है।
40 पॉइंट्स का न्यूनतम साझा कार्यक्रम
सूत्रों के मुताबिक शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के बीच मैराथन चर्चा के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसमें 40 पॉइंट लिए गए हैं। इसमें तीनों पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को तरजीह दी गई है। गुरुवार को दोपहर 12.30 बजे शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट से मुलाकात की। इसके बाद दोपहर दो बजे एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं ने सीएमपी पर चर्चा की। शाम पांच बजे कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के नेताओं ने एक साथ बैठक करते हुए सीएमपी को अंतिम रूप दिया।
विवादित मुद्दों को जगह नहीं
कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि सीएमपी कोई चुनावी घोषणा पत्र नहीं है, बल्कि यह स्वच्छा और पारदर्शी प्रशासन के लिए तैयार ऐक्शन प्लान है। इसमें विवादित मुद्दों को जगह नहीं दी गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे विजय वडट्टीवार ने बताया कि बैठक में तीनों पार्टियों के नेताओं ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार कर लिया है। उन्होंने कहा कि उनकी नेता सोनिया गांधी की मंजूरी मिलते ही राज्य में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार बनेगी।
किसान कर्जमाफी
सीएमपी में किसानों के मुद्दे पर खास जोर है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही सभी पार्टियां किसानों को नुकसान की बात कर रही हैं। राज्य में हुई बेमौसम बारिश के बाद फसलों की बर्बादी से किसान मुश्किल में हैं। शिवसेना ने इस मुद्दे पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भी मुलाकात की थी, वहीं आदित्य ठाकरे ने प्रभावित इलाकों में किसानों का हाल जाना था। किसानों की कर्जमाफी को सीएमपी में जगह दी गई है।
अल्पसंख्यकों का कल्याण
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस और एनसीपी ने मुस्लिमों की शिक्षा में पांच प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव का विरोध न करने पर शिवसेना को राजी किया है। इस योजना की शुरुआत कांग्रेस-एनसीपी की पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुई थी लेकिन बीजेपी-शिवसेना के सत्ता में आने के बाद इस स्कीम पर अमल नहीं किया गया।
सूखे से निपटने के लिए ऐक्शन प्लान
राज्य का मराठवाड़ा इलाका हर साल सूखे की मार झेलता है। राज्य की एक बड़ी आबादी को जलसंकट से जूझना पड़ता है। सीएमपी में सूखे के हालात से निपटने के लिए ऐक्शन प्लान बनाने को तवज्जो दी गई है।

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