रायपुर । आखिरकार शिक्षा मंत्री के कुख्यात ओएसडी राजेश सिंह की छुट्टी हो गयी है। बुधवार को राजेश सिंह को हटाए जाने का आदेश भी जारी हो गया।राजेश सिंह पद में रहते हुए बड़े-बड़े आरोप लगे थे, लेकिन सबसे ज्यादा संगीन आरोप तबादला सूची में गड़बड़ी को लेकर था, जिसे लेकर मंत्री विधायक ने ही राजेश सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मंत्री के ओएसडी के खिलाफ शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक भी पहुंची थी।यहां तक कि ट्रांसफर के घमासान के बीच जो कैबिनेट की बैठक हुई थी, उस बैठक में भी राजेश सिंह के कारनामों की खूब चर्चा हुई थी और उस दौरान भी ओएसडी पर मंत्रियों ने खूब भड़ास निकाली थी। जिस तरह का गुस्सा ओएसडी के खिलाफ भड़का था, उसके बाद ही साफ हो गया था कि राजेश सिंह की छुट्टी कभी भी हो सकती है। उस पर लिस्ट में बड़ी बड़ी गड़बड़ी ने सारी कसर पूरी कर दी।बताया जा रहा कि खुद शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह ने ही ओएसडी राजेश सिंह को हटाने की सिफारिश की थी। राजेश सिंह पर ना सिर्फ तबादला में गड़बड़ी का आरोप था, बल्कि स्कूल में जबरन खरीदी करवाने और कई घोटाले के आरोप थे।जानकारी के मुताबिक शिक्षा मंत्री के ओएसडी का अतिरिक्त प्रभार होने के बाबजूद राजेश सिंह के कारनामे एक से बढ़कर एक रहे थे। हालांकि अब उन्हें डायरेक्टरेट भेज दिया गया है।शिक्षा विभाग में इस बार बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई थी। संविलियन के बाद शिक्षकों की तादाद लाखों में पहुंच गई थी। वर्षों तक एक ही स्कूल में अटके शिक्षकों ने बड़े पैमाने पर तबादले के लिए आवेदन किये। लिहाजा पैसे का जमकर खेल चला। पैसे की वजह से नियम कानून की धज्जियां उड़ा गयी। सरकार ने तबादले के लिए जो प्रारूप बनाये थे, वो सब धरे के धरे रह गए। आलम ये हुआ कि ना प्रभारी मंत्री की अनुशंसा काम आयी और ना विधायक व मंत्री की सिफारिश का कोई ख्याल रखा गया। जिसके बाद ही राजेश सिंह के ख़िलाफ़ गुस्सा भड़क गया था।स्कूल में हज़ारों की खरीदी करवाने को लेकर भी राजेश सिंह पर गंभीर आरोप थे। अम्बिकापुर के एक फर्म से स्कूलों में जबरन खरीदी कराकर उसका भुगतान करा दिया गया। इसके लिए डीईओ को निर्देशित भी राजेश सिंह ने किया था।