Chhattisgarh

गौठानो में वर्मी के साथ सब्जी व कुक्कुट उत्पादन से लाभ अर्जित कर रहीं महिलाएं

आर्थिक स्वावलम्बन का बेहतर प्लेटफॉर्म साबित हुआ गौठान

विविध उत्पादों से समूह की बढ़ी आमदनी

रायपुर। छत्तीसगढ़ की पुरातन परम्पराओं को सहेजने के साथ-साथ आय सृजित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम का आगाज किया। इसी तरह 20 जुलाई 2020 से गोधन न्याय योजना का शुभारम्भ किया गया, जिसके माध्यम से समूहों को गौठानों से जोड़कर वर्मी खाद एवं जैविक खाद के अलावा बहुआयामी सृजनात्मक कार्यों एवं गतिविधियों को अंजाम देने का कार्य किया जा रहा है। धमतरी जिले के नगरी विकासखण्ड के ग्राम छिपली में ऐसा ही एक गौठान है जिससे जुड़कर महिलाओं ने न सिर्फ वर्मी खाद उत्पादित किया, अपितु सब्जी उत्पादन, दलहन, जैविक कीटनाशक दवाई सहित कुक्कुट उत्पादन करके अब तक लगभग दो लाख की आय अर्जित कर ली, जो कि अपने आप में एक मिसाल है।


नगरी के ग्राम छिपली में स्वावलम्बी महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं न सिर्फ वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन ही नहीं कर रही हैं, बल्कि गोबर से निर्मित राखियां, दीए, लक्ष्मी चरणपादुका, गणेश जी की मूर्ति सहित ओम व स्वास्तिक की प्रतीकात्मक आकृति वाली आकर्षक सामग्रियां बनाई हैं। स्वावलम्बी महिला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती दुर्गेशनंदिनी साहू ने बताया कि गोधन न्याय योजना के तहत शासन द्वारा ग्राम छिपली में 14 एकड़ में गौठान तैयार किया गया है। यहां पर उनके समूह की 10 महिलाएं मिलकर वर्मी खाद का उत्पादन किया। इन दोनों समूहों के द्वारा अब तक 50 हजार रूपए की वर्मी खाद, 50 हजार रूपए के गोबर से निर्मित उत्पाद तथा 98 हजार रूपए की सब्जीवर्गीय फसलें लेकर कुल एक लाख 98 हजार रूपए का मुनाफा कमाया। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के मार्गदर्शन में योजना की शुरूआत से अब तक उक्त समूह ने लगभग 25 हजार किलो की वर्मी खाद तैयार कर उसका विक्रय किया। वर्मी खाद से अर्जित आय का उपयोग करते हुए समूह की महिलाओं ने बहुआयामी उत्पादों को अंजाम देने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त कर गत वर्ष गोबर से निर्मित राखियां, देवताओं की मूर्ति और प्रतीक चिन्ह तैयार कर विक्रय किया जाता है।

समूह की सचिव ग्वालिन बाई यादव ने बताया कि इसके अलावा गौठान के तीन एकड़ रकबे में समूह के द्वारा भिण्डी, गवारफल्ली, बैंगन, टमाटर, कद्दू, गल्का सहित धनिया का उत्पादन कर विक्रय किया गया। इसी प्रकार समूह की महिलाओं ने प्रशिक्षण लेकर कुक्कुट पालन करते हुए पोल्ट्री फॉर्म बनाया। साथ ही वर्तमान में कंदवर्गीय सब्जियां जैसे जिमी कंद, हल्दी के साथ इंटरक्रॉपिंग अरहर व धनिया का उत्पादन लिया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में डेयरी उत्पाद की भी योजना समूह ने बनाई है तथा बिना मध्यस्थता के सीधे तौर पर लोगों को सब्जी बेचने पर विचार किया जा रहा है जिससे कम कीमत पर सब्जियां उपलब्ध हो सके तथा समूह को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिल सके। समूह की सदस्य उषा बाई साहू ने बताया कि गौठान से आय कमाने के बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। प्रदेश सरकार ने गांव में ही आय का जरिया पैदा करने की योजना बनाई है, वह अभूतपूर्व है। इस तरह सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना से ग्रामीणों को न सिर्फ बेहतर प्लेटफॉर्म मिला है, बल्कि समूह के जरिए महिलाएं स्वावलम्बी होकर अपने घर-परिवार को बेहतर दशा और दिशा देने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं।

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