देश के हर कोने में अपनी प्रस्तुति दे रही है मया के सन्देश
दुर्ग की उर्वशी साहू अपनी लोक मंच मया के संदेश के जरिये छत्तीसगढ़ की लोक गीत नृत्य को लेकर विगत 15 वर्षों से देश प्रदेश के हर कोने कोने में जाकर अपने कलाकरो के साथ प्रस्तुति देते आ रही है. उर्वशी कहती है कि कलाकारी बचपन से ही उनके खून में शामिल है. उर्वशी साहू के नाना स्वर्गीय स्वर्ण कुमार साहू चरणदास चोर के गीतकार है. दादा जी स्वर्गीय रेवाराम गणेश राम पंडवानी के प्रसिद्ध कलाकार थे. पापा तबला वादक थे, साथ ही गीतकार भी थे। गोदना गोदा ले रीठा ले ले ,गाजा मूग कइसे के जावो पानी के सईया बट ल छेके जैसे सुप्रसिद्ध गीतकार थे। माता गायिका थी. इसलिए कलाकारी उर्वशी के खून में ही शामिल है.
उर्वशी ने बचपन से ही छत्तीसगढ़ के हर छोटे बड़े नामी लोक मंच और नाटकों में काम की। तीजन बाई के साथ देश विदेश तक प्रोग्राम कर आज खुद की लोक मंच चला रही है। फिल्मो और लोक मंच दोनों में उर्वशी व्यस्त रहती है पर ज्यादा समय वह लोक मंच को देती है क्योकि वह कहती है कि मेरे परिवार में आज कोई भी जीवित नही है और परिवार के अधूरे सपने और कला यात्रा को मैं जब तक जिंदाहूँ जीवित रखूंगी। यही सपना है उर्वशी साहू अपनी 30 कलाकरो के साथ आज देश प्रदेश के हर कोने में प्रस्तुति देते आ रही है। अभी दिल्ली आदि मोहत्सव से प्रोग्राम करके वापिस आई है. इससे पहले वो उत्तराखंड,देहरादून,अंडमान निकोबार,केरल, लखनऊ,मुम्बई,हरिद्वार लद्दाख बेंगलोर,आदि जगह पर अपनी लोक मंच के साथ छत्तीसगढ़ के लोक गीत नृत्य को पहचान दिला रही है साथ ही सामाजिक इस्तर पर भी समाज मे काम कर रही है . उर्वशी कहती है कि मेरी इच्छा है जब मैं मरु तो स्टेज पर अंतिम सांस लू क्योकि कला ही मेरी जीवन है संगीत के बिना मेरी जीवन अधूरा है उर्वशी नाम से ही पता चलता है देवलोक की नर्तकी संगीत उर्वशी के रग रग में बसा है कला को अपनी साधना मानती है आज उर्वशी को बड़े बड़े सम्मान मिला है माता कौसलिया सम्मान,छत्तीशगढ़ रत्न,तेजवस्वनि सम्मान,कला साहित्य सम्मान,और भी अनगिनत बड़े बड़े सम्मान मिले है पर दर्शको का प्यार और ताली को उर्वशी अपना सबसे बड़ा सम्मान मानती है. बहुत जल्द अपनी टीम के साथ छत्तीसगढ़ी लोक गीत नृत्य लेकर विदेश जाने वाली है.