Entertainment छालीवुड

किसी फिल्म सिटी से कम नहीं “डॉ सहाय स्टूडियो”

गाँव , जंगल, शानदार बँगला, थाना,जेल, अदालत सब कुछ है
छालीवूड फिल्म निर्माताओं को फिल्म शूटिंग के लिए यहाँ वहां भटकना पड़ता था. गाँव का सीन हो तो गावों की रुख करना होता था. थाने, जेल ,अदालत, मकान, जेल, अस्पताल गावं के सीन आदि के लिए काफी पापड बेलने पड़ते थे. अब सब कुछ एक ही जगह पर उपलब्द्ध है.

डॉ सहाय के स्टूडियो को देखकर लगता है कि यह किसी बड़ी फिल्म सिटी से कम नहीं है। फिल्म अभिनेता, लेखक निर्देशक डॉ अजय मोहन सहाय ने फिल्म निर्माताओं की समस्या को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा मिनी फिल्म सिटी तैयार किया है जिसमे सब कुछ मौजूद है. भव्य लोकेशन , शूटिंग के लिए कई कमरे, दफ्तर स्टूडियो के ग्राउंड फ्लोर पर बनाए गए हैं. प्रथम तल पर अभिनेता अभिनेत्रियों के लिए वातानुकूलित कमरे है. थाने, अदालत और जेल नीचे हाल में मौजूद हैं, जिसमे आसानी से सभी दृश्य शूट किये जा सकतें है. प्रथम तल पर शानदार अस्पताल बनाए गए हैं जहां सब कुछ उपलब्द्ध है .आईसीयू , बेड, आपरेशन के सभी उपकरण निर्माताओं को मिलेंगे.

स्टूडियो के सबसे उपरी मंजिल पर एक खूबसूरत गाँव बसाया गया है, जिसमे कुआं, तुलसी चौराँ, गली, चौक चौराहे सब कुछ होंगे. खपरैल से बने इस गाँव को देखकर लगता नहीं है कि हम किसी बड़े शहर में हैं. गाँव का एहसास तो मंजिल पर पहुँचते ही होने लगता है. एक फिल्म की शूटिंग के दौरान हमें भी इस स्टूडियो देखने का मौका मिला. गाँव का दृश्य देखकर हम भी थोड़ी देर के लिए भूल गए थे कि हम रायपुर शहर में हैं. सब कुछ एक ही जगह पर मिलने से फिल्म निर्माताओं के खर्च में बहुत ही कमी आयेगी. लोकेशन के लिए यहाँ वहां शिफ्टिंग का खर्च भी बचेगा.डॉ सहाय का कहना यहां विदेशो की तर्ज पर छोटे छोटे कॉटेज बनाने की योजना है , साथ ही एक छोटा सा मंदिर भी. इसके साथ ही यह स्टूडियों एक सम्पूर्ण फिल्म सिटी के रूप में विकसित हो जाएगा।

फिल्म के अलावा समाजसेवा और चिकित्सकीय कार्य में लीन डॉ अजय सहाय की सोच के हम कायल है. बस निर्माताओं को फिल्म शूटिंग के बदले साफ़ सफाई और बिजली का खर्च वहन करना होगा, जो जायज है. डॉ अजय सहाय से जब हमने पूछा कि आपकी सोच के पीछे वजह क्या रही तो उनका जवाब भी दिलचस्प था. निर्माताओं को इधर उधर भटकते उन्होंने देखा है पैसा भी ज्यादा खर्च होता था और छालीवूड इतनी बड़ी इंडस्ट्री नहीं बन पाई है कि न्बिर्माता ज्यादा पैसा खर्च कर सके, बस इसी को देखते हुए उन्होंने स्टूडियो बनाकर एक ही जगह पर सब लोकेशन देने का निर्णय कर लिया. पैसा कमाना उनका मकसद कभी नहीं रहां है बस समाजसेवा का जूनून है. वे कहते हैं कि मेरे इस प्रयास से फिल्म निर्माताओं को राहत मिले और पैसा ज्यादा खर्च नहीं करना पड़े तो समझूंगा मै अपने मकसद में कामयाब हो गया. उनकी सोच और जज्बे को हम सलाम करते है .

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