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चैत्र नवरात्रि 2020- 178 वर्ष बाद बना है महासंयोग , मां की कृपा पाने शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना

chaitra navratri 2020

ऋतु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव खत्म करने को पूजन : 
ज्योतिषाचार्य विपेंद्र झा माधव के मुताबिक ऋतुओं के परिवर्तन से मनुष्य का स्वास्थ्य और मन:स्थिति प्रभावित होता है। व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने, स्वस्थ रहने के लिए नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना की जाती है।

बुधवार को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- 
प्रात: 6.19 बजे से 07.17 बजे तक
सिद्धि मुहूर्त- 
सुबह 7.45 से सुबह 9.35 बजे
अभिजीत मुहूर्त- 
10.35 बजे से 11.40 बजे

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा- 
24 मार्च की दोपहर 2.57 बजे से 25 मार्चकी शाम 5.26 बजे

क्या करें: 
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, -पूरा पाठ नहीं कर सकें तो कील,कवच और अर्गला का पाठ करें, दुर्गा चालीसा का पाठ करें

चैत्र नवरात्रि पर 178 वर्ष बाद बना है महासंयोग-
ज्योतिषाचार्य पीके युग के मुताबिक नवरात्रि के दौरान 30 मार्च को गुरु का राशि परिवर्तन मकर में होगा। मकर में शनि पहले से ही है जबकि गुरु नीच राशि में होंगे। शनि के वहां अपनी ही राशि में रहने से नीच भंग राजयोग बनेगा। ऐसा योग यानी नवरात्रि में गुरु का राशि परिवर्तन मकर राशि में आज से 178 वर्ष पहले 6 अप्रैल 1842 में बना था। इस महासंयोग से स्वास्थ्य,धर्म,संतान और आर्थिक स्थिति में बेहतरी दिखेगी। वहीं कलश स्थापना पर तीन ग्रह बहुत ही मजबूत स्थिति में रहेंगे। गुरु अपनी राशि धनु में, शनि अपनी राशि मकर में और मंगल अपनी उच्चराशि मकर में रहेंगे। इस संयोग से आर्थिक मंदी से उबरकर आर्थिक मजबूती दिखेगी।

चार दिवसीय चैती छठ अनुष्ठान 28 मार्च से-
हिन्दू नववर्ष के पहले महीने चैत्र शुक्ल पक्ष को छठ महापर्व मनेगा। सूर्यापासना का पर्व है। यह आरोग्यता,संतान और मनोकामना पूर्ति के लिए की जाती है। मान्यता है कि नहाय खाय में लौकी की सब्जी और अरबा चावल का सेवन किया जाता है। वैज्ञानिक मान्यता है कि इससे गर्भाशय मजबूत होती है। नहाय-खाए: 28 मार्च, खरना: 29 मार्च, सायंकालीन अर्घ्य: 30 मार्च, प्रात:कालीन अर्घ्य: 31 मार्च

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