महिला जगत

ये आज़ादी मैंने खुद कमाई है’

दरवाज़े पर ठक-ठक हुई, मैं लिखते-लिखते उठ गई। दरवाज़ा खोला सुखद आश्‍चर्य, सामने वाली ख़ुशमिज़ाज 72 वर्षीय वर्मा आँटी दरवाज़े पर अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ खड़ी थी। मुझे आश्‍चर्य भी हुआ क्योंकि कॉलोनी में घूमते-घूमते हैलो-हाय वाला परिचय था…